Wednesday, 30 October 2019

#JusticeForVijay


#JusticeForVijay
दीवाली की रात 27 अक्तूबर  को रात 11 बजे Vijay Singh ( मृतक विजय फार्मा कंपनी में मेडिकल रिप्रजेंटेटिव था, जबकि उसके पिता टैक्सी ड्राइवर हैं) जो सायन कोलीवाड़ा का रहने वाला है ,अपने दो कज़िन के साथ खाने के बाद टहलने के लिए और अपनी होने वाली बीवी से बात करने के लिए घर से कुछ दूर (वडाला ट्रक टर्मिनल ) आया हुआ था.
जब उसने अपनी बाइक खड़ी की तो सामने एक कपल जो वहाँ का लोकल था बैठा हुआ था और उनके ऊपर इसकी बाइक की लाइट जल गयी। लाइट चेहरे पर जाने के बाद कपल में से लड़के ने विजय सिंह को गाली दी और थोड़ी बहस चालू हो गयी। उसने अपने दो दोस्तों को बुला लिया और बात आगे बढ़ गयी यहाँ तक कि हाथापाई पे आ गयी।

जब वहाँ पुलिस पहुँची तो लड़की ने बस ये बोल दिया कि ये तीनो लड़के( विजय और उसके कज़िन ) मुझे छेड़ रहे थे और पुलिस ने बिना किसी डिटेल्ड इन्क्वायरी के विजय और उसके दोस्तों को बुरी तरह से मारा। यहाँ तक कि उस वक्त भी लड़की और उसके साथ के लड़के ने इन तीनो पे हाथ उठाया ।

पुलिस मारते मारते विजय सिंह और उसके साथ वालों को पुलिस चौकी ले गयी और ले जा के तीनों को बिना किसी इन्क्वायरी के अलग अलग लॉकअप में डाल दिया। 
विजय सिंह को हाथ पैर से सीने पे भी मारा जिससे उसकी हालत खराब हो गई फिर करीब 2:30 बजे विजय सिंह ने पुलिस स्टाफ से कहा कि मुझे सीने में दर्द हो रहा है और पानी दे दो पीने के लिए लेकिन स्टाफ ने पानी नही दिया बल्कि जब विजय की माँ ने पानी देने की कोशिश की तो उसे भी देने से मना कर दिया। विजय का एक छोटा कज़िन (12 साल) जब पानी देने गया तो उससे भी बहोत बुरा व्यवहार किया । घरवालो से भी बहोत गाली गलौच की।
विजय ने पुलिस स्टाफ से कहा कि अपने बेटे जैसा समझ के पानी पिला दो लेकिन इंसानियत मर चुकी थी इन लोगो में शायद।
विजय ने ये भी कहा कि मुजे घुटन सी हो रही है , पंखा चला सकते हैं क्या लेकिन फिर वही गली गलौज वाली भाषा!

जब वो बेहोश हो गया तो उसे लॉकअप से बाहर निकाला गया और लिटाया गया।
जब उसे घरवालों को सौंपा गया तो विजय दम तोड़ चुका था!


सवाल ये है की क्या सिर्फ उस लड़की का ही बयान मायने रखता है या बिना जुर्म साबित हुए पुलिस ने विजय और उसके भाइयो को क्यों मारा या पानी पिलाना जुर्म हो गया है क्या।
खैर 5 पुलिस वाले फ़िलहाल सस्पेंड कर दिए गए हैं और शिकायत करने वाले कपल के खिलाफ भी मुक़दमा दर्ज हुआ है! लेकिन विजय वापस नहीं लौटेगा!
इंसाफ का तक़ाज़ा यही कहता है कि ऐसे ज़ालिमों के खिलाफ ज़रूर अपनी आवाज़ को बुलंद करना चाहिए।।

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